बड़े घर की बेटी
शायद बीस वर्ष की थी जब वह ससुराल आई थी विवाह कर उम्र तो ठीक थी पर उम्र अभी भी रिश्तों की समझ से अनजान थी ।
सुबह का जल्दी उठकर नित्य कार्यो में लग जाना बड़ा मुश्किल था
उसके लिए । मायके में तो बड़ी मुश्किल से स्कूल का टाइम तक तैयार हो पाती थी ।
छुट्टी बाले दिन तो देर तक सोती सब कुछ बड़ा मजेदार था।
पर अब तो घर की बड़ी बहू होने के नाते सम्भल कर रहना चलना
एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी थी।
ऊपर से सबसे ज्यादा पढ़ी लिखी अच्छे सम्पन्न घर से भूलकर भी कोई भूल नहीं होनी चाहिए थी।
यह पढ़ा लिखा होना भी कभी कभी मुश्किल का सबब बन जाता है
ज्यादा बोल नहीं सकते कोई कुछ भी कहे आप पढ़े लिखे हो बड़े घर से हो किसी से कुछ मत कहो बस चुप रहो।
पर कभी कभी यह खामोशी घुन की तरह चाट जाती है।
और जीवन घुटन से भर जाता है।
बात बात पर यह सुनाया जाता है वो बड़े बाप की बेटी है।
उसने भी बहुत कुछ सुना था।
अब बात बटवारे पर थी सब एक तरफ वह पति पत्नी एक तरफ थे
बात घर की दहलीज लाँघकर सड़कों पर आ रही थी पर वह नहीं चाहती थी चन्द दौलत के टुकड़े के खातिर लोग उसके पढ़े लिखे और बड़े घर का होने पर सबाल करें ।
उसने पति से कहा सब छोड़ दे दो जो इन्हें चाहिए।
आज सब हैरान थे उसके सब कुछ छोड़ देने पर सब कह रहे थे
यह तो घाटे का बंटबारा कर लिया।
वह बस मुस्कुरा कर इतना ही बोली नसीब का कोई ले नहीं सकता
उससे ज्यादा कोई दे नहीं सकता।
ले लो सबकुछ आज मैने साबित कर दिया में बड़े घर और बड़े बाप की बेटी हूँ जिसे दौलत से ज्यादा अपनी प्रतिष्ठा प्यारी है और अपनी प्रतिष्ठा के
लिए में जमाने की दौलतों पर मिट्टी दाल दूं।
हमे बचपन से यही संस्कार दिये जाते हैं हम बड़े घर की बेटियों के लिए मान से बड़ा कोई जेबर नहीं।
प्रतिष्ठा से बड़ी कोई दौलत नहीं।
यह सब हम अपने घर में देखकर पले बढ़े हैं सो यह जेबर जायदाद हमारे लिये कुछ भी अनोखा नहीं छोड़ देना ।
मुश्किल उन्हें होती है जो पहली बार कुछ पाते हैं तो वह उसे अपने हर मैन प्रतिष्ठा से बढ़कर मान लेते हैं।
और एकबार फिर वह पूरी शान के साथ खड़ी थी । लोगों की जुबान पर यही यही बात थी सच में वह बड़े बाप और बड़े घर की बेटी है।
किसी छोटे घर की बेटी के लिए यह सब करना सम्भव भी न था।
बड़ा दौलत से नही मन से होना चाहिए।
Miss Lipsa
08-Sep-2021 09:02 AM
Waah
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Gunjan Kamal
07-Sep-2021 02:07 PM
बेहतरीन प्रस्तुति
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